“ख़्वाब”


“ख़्वाब”

“मुझको क्या खबर की दुनिया में सबसे 

बेशक़ीमती क्या है

बस तेरे क़रीब होना ही ख़्वाब सा 

लगता है

बहुत आम है यूँ तो मुस्कुराना किसी का

मुझको मगर तेरा चहकना

मनचाही मुराद सा लगता है

तेरे होने की खबर बड़ी ना थी दुनिया में

मगर तेरा मेरा हो जाना बहुत ख़ास लगता है”

(अनिल मिस्त्री)

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