बेशक़ीमती जज़्बात



 “बड़े बेशक़ीमती हैं जज़्बात, दिल की गहराइयों में

छिपा रखे हैं सबसे

ये  सस्ती सी दुनिया, जाने क्या क़ीमत लगाये

कुछ मखमली खामोशियाँ भी और कुछ खूबसूरत लम्हे भी हमने  हैं सजाए 

तेरी मानिंद , ख्याल भी तेरे बहुत ख़ास होते हैं

कभी लबों पे ठहर जाते हैं


तो कभी आँखों से बह जाते हैं

ये मीठी सी धुन बनके कभी  दिल में  भी बस जाते हैं

बड़ी  मशहूर है ये बीमारी दिल की इस दुनिया में,

क्या बताएँ

पलों के  भी इंतज़ार यूँ तो वफ़ा में, मुद्दतों से लगते हैं

हमने तो जाने कितने साल तेरे इंतज़ार में बिताए

अब तो हर वक़्त लगता है की,जीते नहीं बस जी रहे हैं

 इक ज़माना सा हो गया, अब तो साथ मुस्कुराए”

(अनिल मिस्त्री)





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"बेशरम का फूल "

मुद्दत