“कातिल रूहें”


“हर खूबसूरत ख्याल बाँटा ना कीजिये सबके साथ

दुनिया में हर कोई मोहब्बत के लायक नहीं होता

जिस्मों में छिपे फिरती हैं कातिल रूहें कई

सिर्फ़ मीठी ज़ुबान से कोई फ़रिश्ता नहीं होता”

(अनिल मिस्त्री)

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