“हसरत”


“हसरत”

 “बड़ी हसरत से इंतज़ार करते हैं अपने वक़्त का लोग 

उम्र वक़्त के इंतज़ार में ही कट जाती है

            तेरा होना भी तो मायने रखता ही 

होगा आख़िर

            सिर्फ़ तस्वीरों से ही भला कहाँ बात बन पाती है

             बस कोई ख्याल ही तो नहीं मोहब्बत

            इक बार जो हो जाये तो फिर पहचान बन जाती है

            कैसे कह सकते हैं की जो गुज़ारे ही नहीं वो पल भी याद आते हैं

          और जो हुए भी नहीं वो गुजर जाते हैं

             इक दफ़ा भी छू के उस रूह को जी ही लेते सालों कई लोग

            हाँ अक्सर ख़्वाबों से भी मोहब्बत हो ही जाती है

             ये ख्याल ही था की हम बड़े हुनरमंद रहे थे

            ज़माने की बस नज़र ना पड़ी

उस खूबसूरत ख़्वाब से मिलकर ही जाना

    की अक्सर दुआ, हुनर से ज़्यादा असर कर जाती है”

(अनिलमिस्त्री)

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