“खबर”


“जब भी आती है खबर तेरे आ जाने की

मेरा चमन महक उठता है

गुल खिलते हैं, हर ख़्वाब सच होता सा लगता 

है

बहुत मुमकिन है की भीग भी जाए ये सारी कायनात

जब भी ग़म तुझे छू के गुजरता है

और

बड़ी बेख़बर है मेरे ग़म से ये आरज़ू तेरी

जब भी याद करूँ, हर ग़म गुम हुआ जाता है

कौन कहता की तुम ख़ास नहीं मेरी ख़ातिर

उठते हैं ख्याल जब भी दिल में आपके

दिल हमारा महसूस किये जाता है

(अनिल मिस्त्री)



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