“अजीब”


 
“बड़ी अजीब, खूबसूरत तस्वीर है ज़िंदगी

थोड़ी ग़म की लकीरें और थोड़े ख़्वाबों के रँग

मुस्कुराते से चेहरे, पलकें भीगीं और आँखें नम

हम तो बस चलते रहे ख़्वाबों के नशे में

इक भरोसे पे की इक दिन अपना ये टूटा आशियाँ

जोड़ लेंग़े अपनी कारगुज़ारी से टूटे बिखरे तिनके

टूटा जो नशा तो ना रहा आशियाँ ना हम रहे हम”


(अनिल मिस्त्री)




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