“ख़ुदगर्ज़ हवाएँ”

 “ख़ुदगर्ज़ हवाओं के हमेशा शुक्रगुज़ार रहिये

आपकी शख़्सियत के परिंदों को वो 

उड़ना सिखाती हैं”

(अनिल मिस्त्री)

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