तस्वीर के हुनरमंद








 “हमने ख़्वाहीश तो बड़ी की थी आपके आ जाने की

मुक़द्दर ने मगर, बस यादों से दिल बहलवाया

तुझमें गुम हो जाने की भी तमन्ना भी थी बड़ी 

ज़रूरतों ने ज़िंदगी की मगर खूब सताया

हम तो तेरी तस्वीर के हुनरमंद रहे उम्र भर

जाने क्यूँ मगर, वक़्त ने उस तस्वीर से हर इक रँग चुराया”


(अनिल मिस्त्री)





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"बेशरम का फूल "

मुद्दत