“बारिश”


 “बड़ी खुश है आज  फिर शाम, सवालों की

मै तुझमें और तुम मेरे ख्यालों में गुम हो

कल ही सुनाए थे रंजो-ग़म हवाओं को मैंने

बहुत मुमकिन है की आज फिर बारिश हो”

(अनिल मिस्त्री)

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