“ख़्वाहिशों के आसमाँ“
“ख़्वाहिशों के आसमाँ
में सुकूं ना तलाश कीजिए
इक दिन
बस चलते-चलते ख़त्म हो जाएँगे
हर नए से इक न इक दिन दिल भर ही जाता है
करना ही है तो, दो घड़ी बस बेमतलब दुआ कीजिए
चैन की ज़िंदगी उम्र भर जी जाएँगे”
(अनिल मिस्त्री)
ख्यालों से दोस्ती और ख़्वाबों से इश्क़ होते ही ऐसा लगा की खुद से बातें करने का इससे ख़ूबसूरत तरीका कोई और नहीं हो सकता. ज़िंदगी बहुत से अनुभव कराती है, कुछ बहुत अच्छे, तो कुछ बड़े बुरे होते हैं. लाख बुराइयाँ हों दुनिया में, मगर हम खुद को जानते और खुद से मिलते रहें तो हम अपनी नज़रों में बचे रहेंगे. हर किसी को अपने दिल के अंदर के कलाकार को ज़िंदा रखना चाहिए तभी हम सन्तुष्ट रह सकते हैं. इक कलम है अपनी , हो के जिस पे सवार हम अपने ख्याली आसमान में उड़ान भरा करते हैं .
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