“ख़्वाहिशों के आसमाँ“

 


“ख़्वाहिशों के आसमाँ


में सुकूं ना तलाश कीजिए


इक दिन


बस चलते-चलते ख़त्म हो जाएँगे


हर नए से इक न इक दिन दिल भर ही जाता है


करना ही है तो, दो घड़ी बस बेमतलब दुआ कीजिए


चैन की ज़िंदगी उम्र भर जी जाएँगे”


(अनिल मिस्त्री)

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