“आइनों का ख़ौफ़”




 आइनों का ख़ौफ़ उन्हें हुआ करता है जो फ़रेब करते हैं

हमने तो हमेशा निगाहें मिला के सच कहा है

क़िस्से हमारे तो ये ज़माना बयाँ करेगा

जुनूँ की राहों में तो हमने सिर्फ़ ग़म सहा है

कौन कहता है की छोटी कोशिशें रँग नहीं लातीं

अदना सा बीज ही इक न इक दिन दरख़्त बनता है”

(अनिल मिस्त्री)

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