“अमीर”

 “तेरी ख़्वाहीश में मै, रोज़ खर्च होता हूँ

और लोग बेबाक़ कहते हैं कि 

तुम कभी अमीर ना बन पाये”

(अनिल मिस्त्री)

(अनिल मिस्त्री)

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