"इल्म"

 "ये इल्म ना हुआ दौर-ऐ -तनहाई  से गुज़र कर भी 


की ज़िंदगी में कोई हमसफ़र ना होगा कभी 


हसरतें लिए बेदर्द ज़माने में फिर करते हैं 


कि हमनवाँ कोई तो होगा कभी न कभी "

(अनिल मिस्त्री )

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