“हालात”


 “हालात”


“दिल तो भरा ही रहता है ग़मों से


मगर हालात रोने नहीं देते


थक के चूर हो जाता हूँ, चलते-चलते


मगर ख़्वाब हैं कि सोने नहीं देते


मेरी आरज़ू ही क्या रही, ये कोई अपना 

ना जान सका कभी


उम्र लम्बी है उम्मीदों की,बहुत अब भी 


मगर ज़माने के रिवाज, जीने नहीं देते”


(अनिल मिस्त्री)

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