आरज़ू

 “तेरी आरज़ू करके तो अब रोया भी नहीं जाता

वक़्त अक्सर हालात बदल दिया करता हैं 

मोहब्बतों के मायने तो फिर भी वो ही रहते हैं

चाँद भी रात ढलते ही छिप ज़ाया करता है”

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