"रंज"
"रंज क्या करें अब तो गम का
अँधेरी राहों का , ज़माने के सितम का
भूल चले अब तो सब चाहने वाले
बस अब तो याद ही किया करते हैं, वो दिन चिरागों वाले "
अँधेरी राहों का , ज़माने के सितम का
भूल चले अब तो सब चाहने वाले
बस अब तो याद ही किया करते हैं, वो दिन चिरागों वाले "
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें