"शिकायत"


"ना जफा करते हैं वो , ना वफ़ा करते हैं वो
दे के सुकून मेरे दिल को रोज दगा करते है वो
कहते ना कभी कुछ भी उनसे , सुनते ही हैं बस जिनसे
दिखलाते हैं , हर वक्त फसाना-ऐ-मोहब्बत हर रोज
और मुझ ही से शिकायत करते हैं वो "

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