"फरियाद "
"किसने इस जहाँ में हमको , कब सुकून दिया है
हर कदम पे दिल को अपने , ख़ुद ही दगा दिया है
आजमाने वालों, अजमा लो तुम भी शराफत हमारी
जाने कब से, हमने खुदा से भी फरियाद करना छोड़ रखा है "
हर कदम पे दिल को अपने , ख़ुद ही दगा दिया है
आजमाने वालों, अजमा लो तुम भी शराफत हमारी
जाने कब से, हमने खुदा से भी फरियाद करना छोड़ रखा है "
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