" तनहा आदमी "

"बोझिल है हवा, सर्द मगर चांदनी है
अँधेरी है दुनिया दिल की , बस बाहर रौशनी है
अँधेरी है दुनिया दिल की , बस बाहर रौशनी है
रोज़ मिलते हैं , मुझसे लोग बहुत
सब कहते हैं , तनहा बहुत ये आदमी है
सब कहते हैं , तनहा बहुत ये आदमी है
गुमहो गई वफ़ा , खो गई मोहब्बतें
फ़िर भी कहते हैं की , बाकी ये जिंदगानी है "
फ़िर भी कहते हैं की , बाकी ये जिंदगानी है "
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