" बे इन्तहां मोहब्बत "
"बे इन्तहां मोहब्बत का
वो भी क्या ज़माना था
जिन्दगी तेरी चाहत का बस इक फ़साना था
वक्त ने तन्हाई भर दी अब तो ज़िन्दगानी में
हर पल अब तो कटताहै मुश्किल में
किस्मत को तो चाहिए बस एक बहाना था
बेमेल वो मोहब्बत बेमानी थी
फ़िर भी तुम हमारी जिंदगानी थी
दुनिया कहे चाहे कुछ भी
दिल हो के जुदा तडपे जितना भी
तुम्हे तो हमसे एक दिन, दूर ही जाना था "
वो भी क्या ज़माना था
जिन्दगी तेरी चाहत का बस इक फ़साना था
वक्त ने तन्हाई भर दी अब तो ज़िन्दगानी में
हर पल अब तो कटताहै मुश्किल में
किस्मत को तो चाहिए बस एक बहाना था
बेमेल वो मोहब्बत बेमानी थी
फ़िर भी तुम हमारी जिंदगानी थी
दुनिया कहे चाहे कुछ भी
दिल हो के जुदा तडपे जितना भी
तुम्हे तो हमसे एक दिन, दूर ही जाना था "
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