"दौर-ऐ-तन्हाई"
"ये इल्म ना हुआ
दौर-ऐ-तन्हाई , से गुजर कर भी
की जिंदगानी में कोई
हमसफ़र ना होगा कभी
हसरतें लिए , बेदर्द ज़माने में
firaa करते हैं
की हमनवां , कोई तो होगा
कभी ना कभी "
दौर-ऐ-तन्हाई , से गुजर कर भी
की जिंदगानी में कोई
हमसफ़र ना होगा कभी
हसरतें लिए , बेदर्द ज़माने में
firaa करते हैं
की हमनवां , कोई तो होगा
कभी ना कभी "
vah mera dost... vah ..hridesh
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