"हूर " पार्ट २

"मै हमेशा से अपनी पसंद के मामले में बड़ा ही सख्त इंसान रहा हूँ । चाहे चीज़ छोटी ही क्यों ना हो मगर मेरे हर चीज़ को अपना बनने के पीछे एक बड़ी कहानी होती है , या यूँ कह ले की मै कोई भे चीज़ यूँ ही अपनी जिन्दगी में शामिल नही करता। मेरी जिन्दगी में जो भी चीज़ आती है वो मेरी शख्सियत का हिस्सा बन जाती है। और मेरी ख्वाइश यही होती है की मेरे साथ मेरी हर चीज़ को देखने वाला यही कहे की हम एक दुसरे के लिए ही बने हैं। उस छोटे से रेस्टारेंट की उस बाला को देख कर भी यही लगता था की बस इसे खुदा ने मेरी खातिर बनाया हो। अगर मै अपनी नज़रों में एक हारी हुई सल्तनत का शहजादा था तो वो ही मेरी हूर थी । कुछ सालोँ se मै अपनी जीवन साथी तलाश रहा था , मगर बताने वाले ऐसे रिश्ते बताते मानो, लड़की नाम की चीज़ इस दुनिया से ख़तम होने वाली हो, और हम सही , या ग़लत अच्छी या बुरी बातें छोड़ कर बस किसी को भी अपनी जिंदगी में शामिल कर ले , फ़िर चाहे उससे रत्ती भर भी मिजाज़ ना मिलते हो। खैर इसे तो किस्मत का खेल समझा जाता है, हम इस बारे में कुछ भी नही कह सकते मगर, कुछ तो हो ऐसा की लगे हां यही है वो। उस हूर में मुझको १००% यही नजर आता था की बस यही वो ठंडे पानी का चश्मा है , इस दुनिया के रेगिस्तान में , जहाँ मुझे अपने दिल की प्यास हमेशा बुझानी है ।

आज मै फ़िर हमेशा की तरह अपने ऑफिस से आने के बाद , रोज़ की तरह उस रेस्टारेंट में गया, मगर आज वो नही आई थी। मैंने एक दूसरे वेटर से पूछा "यहाँ आज स्टाफ कुछ कम सा लग रहा है" ? उसने जवाब दिया "बस एक स्टाफ कम है सर ". । उसकी व्यंग भरी मुस्कराहट मेरी भी समझ में आ गई थी , आख़िर वो भी सब देखा करता था की मै सारी दुनिया छोड़ कर अपने आर्टिकलs लिखने के उस छोटे से भीड़ भरे रेस्टोरेंट में ही क्यों आता हूँ । उसने कहा आज जान्हवी नही आई है । मैंने पूछा उसका नाम जान्हवी है ? उसने कहा हाँ । मैंने फ़िर पूछा क्यों ? उसने कहा अरे साहब आप आपना berger खाओ क्यों ये सब बातें पूछते हो ? मैंने फ़िर कहा free में थोडी पूछ रहा हूँ ? और एक १०० की पत्ती का अचूक हथियार चला दिया। वो मुस्कुराते हुए कहने लगा ठीक नही है सर । उसका नाम जान्हवी है , वो राजोरी गार्डन में रहती है , आज उसके घर में कुछ काम है इसलिए नही आई। और बस इतना कह के वो चुप हो गया। मैंने पूछा और क्या जानते हो ? उसका सेल number दे सकते हो? मगर वो छुप रहा। मैंने १ और १०० की पत्ती निकाली , तब उसने कहा हर इन्फोर्मेशन का चार्ज अलग है। मैंने ५०० का नोट निकल के उसे दे दिया और कहा ये उसका नम्बर बताने के लिए । उसने जल्दी से उसका नम्बर एक पेपर मेनू पे लिख के दे दिया। मैंने कहा ठीक है उसके घर का पता बता सकते हो ? वो कहने लगा इतनी जल्दी घर तक साहब थोड़ा स्लो चलो । मैंने कहा तुम अपना काम करो और जितना पूछा है बस उसका जवाब दो। और एक १०० का नोट और निकल के दे दिया । उसने खुशी खुशी उसका पता भी उसी मेनू पे लिख दिया। फ़िर मैंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है ? उसने कहा फ्रांसिस। मैउठा और मैंने कहा कल तो आयेगी , की वो भी नही ? उसने कहा हां सर कल आयेगी । मैंने कहा तुम अपना भी सेल नम्बर दे दो .उससे नम्बर ले के मै चल पड़ा , मगर दिल में हजारों ख्याल आ रहे थे। पता नही वो आज क्यों नही आई ? जाने क्या काम पड़ गया ? आज फ़िर बादल दिल की जमीन को प्यासा छोड़ कर चले गए।

चलते चलते दिल में एक ख़याल आया की क्यों राजोरी गार्डन में उसके घर जा कर देखूं की शयेद उसके दीदार की अधूरी तमन्ना पूरी हो जाए। मगर फ़िर इरादा बदल दिया मैंने । वैसे भी मै उस उमर में था जब ये सब हरकतें जायदातर बचकानी मानी जाती हैं , माशूका की खडकी पर घंटों khade रहना और उसका पीछा करना , रोज़ अपनी कमीज़ की जेब में लाल गुलाब लगा कर निकलना , उसकी नज़रों में जबरदस्ती आना, ये सब बातें मुझे हमेशा से जयादा पसंद नही, मेरा मोहब्बत करने का नदाज़ कुछ अलग है , मै तो बस एक थाली सजा कर सामने वाली को पेश कर देता हूँ अब ये उसकी मर्ज़ी की वो निवाला उठाये या नहीख़ुद अपने हाथों से खिलाना , इसमे मेरा atamsammaan बीच में आ जाता था। सो मैंने सोचा की पहले मै अपनी बाकी तैयारी पूरी कर लू , फ़िर मै उसके घर की तरफ़ रुख करूंगा। मैंने एक सोशल networking साईट पर अपने शहर की साड़ी जन्ह्वियों के प्रोफाइल चेक कर डाले। और सब को ऐड भी कर लिया। अब मुझे काम और करना था, मैंने उसके सेल पे एक कॉल किया। २-३ रिंग जाने के बाद उसने फ़ोन उठाया और एक साथ हजारों सितार बज उठे , कानो में रस घोलने वाली वो मधुर आवाज़ सुनाई पड़ी "यस " । दो पल को तो जुबान हलक में ही अटक कर रह गई थी। फ़िर मैंने कहा क्या मै मिस जान्हवी से बात कर रहा हूँ ? उसने कहा हाँ कहिये आप कौन बोल रहे हैं ? मैंने अपनी योजना के हिसाब से कहा मैडम मै एक क्रेडिट कार्ड कंपनी से बोल रहा हूँ , हमारे पास बहुत सारे ओफ्फेर्स हैं , उसने कहा नो....नो॥ मगर मैंने बीच में ही कहा मैडम हमारे पास बहुत ही achhaa ऑफर है औए ये bilkul फ्री है। और अपनी योजना के हिसाब से मै जबरदस्ती उससे बातें करने लगा और उसके फ़ोन काटने से पहले ,तकरीबन १० मिनट्स की mehnat के बाद ,उसे इस बात के लिए राज़ी कर लिया की कल मै उससे मिल सकता हूँ । मगर इस बात की गारंटी नही है की वो कार्ड बनवाने को राज़ी होगी या नही। उसके फ़ोन रखने के बाद मुझे अपनी कांवेंसिंग पॉवर पे आश्चर्य हो रहा था की , मैंने उसे माना कैसे लिया ? मै बहुत खुश था
, अब मुझे बस कल का इंतज़ार था। मै अब उन हालातों में था जब एक -एक पल एक -एक युग की तरह लगता है। नींदे गायब हो जाती है। और अगर खालिस मुम्बैया भाषा में कहें तो दिल के चैनल पे बस एक ही प्रोग्राम चलता है , जिसका नाम इस वक्त जान्हवी था।

वैसे mai बहुत hi तन्हाई पसंद इंसान रहा हूँ , मुझे सामाजिक होना या सोशल होना पसंद है मगर मेरी अपनी एक दुनिया है , जिसका जिक्र मै अक्सर करता हूँ और उस दुनिया में मै अपने आप से मिलता हूँ , अकेले ही वादियों में घूमना , अकेले ही बेवजह कहीं निकल जाना , भीड़ में भी तनहा रहना , मुझे अच्छा लगता है । अकसर दिल्ली की गर्मी में , अपने आपको भीड़ से बचाने के लिए मै घंटो मेट्रो ट्रेन में ही घूमा करता हूँ , एक छोर से दूसरे छोर tak और फ़िर वापस । मगर आज मुझे ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था की मेरे ख्यालों की दुनिया में भी अब मै अकेला नही रहूँगा। एक बहुत ही ख़ास जगह दिल की दुनिया की जिसमे आने की इजाज़त किसी को नही है , मेरे अलावा , उस जगह मै उस जान्नाशीन को लाने वाला हूँ जिसका नाम जान्हवी था शायद । कहिर इन्ही ख्यालों में मै डूबा और जाने कब सो गया। जब नींद खुली तब अलार्म बज रहा था , और सुबह के आठ बज रहे थे। ९ बजे का appointment था उसके साथ । मै फटाफट उठा और तैयार हो कर निकल पड़ा, आज आईने में अपना दीदार भी शायद उसकी नज़रों से हो रहा था। मैंने सोच रखा था की एकदम से उसे दिल की बात नही बताऊंगा , पहले उससे जानने की कोशिश करूँगा , फ़िर देखूंगा की वो सिर्फ़ सूरत शकल की ही हूर है , या दिल से और मिजाज़ से भी हूर है ।
मै टाइम से १० मिनट पहले ही पहुँच गया , वो जगह भी एक छोटे से रेस्टोरेंट के बाहर थी , हलाकि वो रेस्टोरेंट खुला था मगर मै बाहर ही उसका इंतज़ार करने लगा , ठीक ९ बजे वो आती दिखाई पड़ी , मै चुपचाप अन्दर चला गया। और उसे कॉल किया । उसे मैंने बता दिया की मै कहाँ बैठा हूँ । वो मेरी मेरी तरफ़ आने लगी । मैंने उसे अपना परिचय दिया और उसे बैठने को कहा । जब वो बैठ गई तब मैंने अपना gogles निकाला , मुझे देख कर वो कहने लगी आप ! आप को ..... आप तो हमारे रेस्टोरेंट में रोज़ आते हैं। मैंने मुस्कुराकर हाँ में जवाब दिया। उसने फ़िर कहा , बताइए मुझे क्या क्या document देने होंगे और आपके पास क्या क्या ऑफर हैं ? मैंने कहा ठीक है मगर अगर आप बुरा ना माने तो पहले एक एक कप काफ़ी हो जाए , फ़िर मै आराम से सारे ऑफर आपको बता दूंगा । उसने कहा नही मै थोडी जल्दी में हूँ और वैसे भी मेरे job पे जाने का टाइम हो गया है । मैंने कहा जब तक cofee आयेगी तब तक मै आपको ओफ्फेर्स भी samjha दूंगा , और वैसे भी आप roj कुछ ना कुछ khilati ही रहती है आज मै आपको कुछ ऑफर करता हूँ। वो हल्का sa muskurayi और राजी हो गई । ऑफ़ वो kayamat , और वो बिजली कुछ ऐसी गिरी के हम बस मरे नही बाकी सब हो गया । मैंने काफ़ी का order दे दिया । और उसे yun ही ऑफर samjhane लगा , उन banawati ओफ्फेर्स में इतना कुछ था ही नही की कोई बैंक या कंपनी किसी को दे सकती थी , मगर मै उसे अपना सब कुछ दे चुका था। वो थोडी pareshaan हो जाती और कभी हल्का sa muskura देती , sakhtee से कुछ माना करने की उसकी kosish मुझे लगी नही। फ़िर उसने पूछा और कब तक मेरा कार्ड आ जाएगा ? मैंने कहा १५ से २० दिन के अन्दर आपका कार्ड आ जाएगा । वो तैयार हो गई और कहा अभी तो सारे documents नही है आप कल ले लेना। मैंने कहा कोई बात नही , आप कल दे देना इसी जगह पर , वो थोडी pareshaan हो कर बोली , यहाँ और थोडी देर चुप हो गई , मै उसकी बात kaat कर bola , अगर कोई problem हो तो रेस्टोरेंट में आ कर ले lunga। उसने कहा ठीक है कल आप रेस्टोरेंट में ले लेना ।
अच्छा अब मै जाऊँ ? वो मुस्कुराकर बोली , और आपकी coffe के लिए thanks ।
मै फ़िर अपने shatir हरकत पर और उसकी masoomiyat भरी muskurahat पर खुश हो गया । उसने धीरे से bye कहा और chali गई । मै भी घर आया और office चला गया , raste bhar मै उसके बारे में सोचता रहा , अब अगले १५ २० दिन तक तो हम ajnabi की तरह नही मिलेंगे , और फ़िर धीरे से मै अपना raaz khol दूंगा । बहुत achhee चाल chali थी मैंने , और फ्री में ही बहुत बातें जान lee थी , warna फ्रांसिस तो इसके kum से kum १००० rs ले लेता।
shaam को जब मै रेस्टोरेंट गया , तब जान्हवी मुझे pahchaan गई , और एक smile के साथ , मुझसे पूछा , आप यही रहते हो या काम भी करते हो ? मैंने कहा yaha रह के भी मै काम ही करता हूँ। अब यहाँ बैठे - बैठे ही मै कई लोगों के कार्ड bana दूंगा ।
to be continue....................................

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