एक कोना शिकस्त का
इक कोना शिकस्त का
यु तो उमर गुजार दी बख्तर बंद पहने हुए
बहुत सेक ली पीठ घोड़ो क़ी भी
शमशीर और भाले भी जुड़ गए है हथेलियों से
और बहुत किस्से भी है फ़तेह के
कई है जिनकी चाहत है हमसा बनने क़ी भी
मगर सिर्फ हमें मालूम है
जिंदगी क़ी चार दीवारी में
इक कोना है शिकस्त का
चाहो तो जीत लो ये दुनिया मगर
ये कोना रहेगा शिकस्त का
झुकाए है सर सजदो में इस कोने क़ी खातिर
बहाया है खू भी
मगर प्यासा है फिर भी ये टुकड़ा दिल की जमीन का
और जीत कर भी सारी दुनिया
रह गया घर में अपने ही
एक कोना शिकस्त का
यु तो उमर गुजार दी बख्तर बंद पहने हुए
बहुत सेक ली पीठ घोड़ो क़ी भी
शमशीर और भाले भी जुड़ गए है हथेलियों से
और बहुत किस्से भी है फ़तेह के
कई है जिनकी चाहत है हमसा बनने क़ी भी
मगर सिर्फ हमें मालूम है
जिंदगी क़ी चार दीवारी में
इक कोना है शिकस्त का
चाहो तो जीत लो ये दुनिया मगर
ये कोना रहेगा शिकस्त का
झुकाए है सर सजदो में इस कोने क़ी खातिर
बहाया है खू भी
मगर प्यासा है फिर भी ये टुकड़ा दिल की जमीन का
और जीत कर भी सारी दुनिया
रह गया घर में अपने ही
एक कोना शिकस्त का
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