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सितंबर, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"इकराज़ "

"इक राज़ तेरी निगाहों से यूँ ही ब्यान होता है कोई है आस पास मेरे जो , ख्यालों में मेरे ख्वाबो सा जवान होता है कुछ दीवानगी तेरी ख्वाईश में कुछ दिल्लगी का सामान भी होता है मुझको परवाह नहीं कि हूर हो या हो कोई आफत इस दुनिया कि बस वफ़ा का नगमा सुनने को दिल तरसता है इक लिबाज़ हसीं में तेरा संगमरमरी जिस्म छिपने को डरता है कभी भीगी सी हवाओं में कभी आधी सोयी फजाओं में इक नीली सी झील में तेरा अक्स देखने को ये दिल रोता है "

"बेशरम का फूल "

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"बेशरम का फूल " कभी आपने बेशरम का फूल या पौधा देखा है ? नदी नालों के किनारे , गीली और दलदली जमीन पे उगने वाली ये घनी जंगली झाड़ीनुमा पौध अकसर आपको डबरों और दलदलो के किनारे दिख जाएगी | ये बहुत तेजी से बढ़ने वाली और काफी जल्दी ऊंची हो जाने वाली झाड़ी है | पानी साफ़ हो या गन्दा ये बहुत तेजी से फलते फूलते है और विकसित हो जाते है | जब ये पूर्णतः विकसित हो जाते हैं तो इनमे नीले जमुनी रंग के जासौन के जैसे फूल खिलते हैं | अब सवाल ये उठता है कि, एक जंगली पौधे में या इसके फूलों में ऐसा क्या ख़ास है कि मै इसका वर्णन इतने विस्तारपूर्वक कर रहा हूँ ? एक जंगली झाड़ी को इतना महत्व देने का क्या अर्थ है ? हाँ अगर बात गुलाब या चमेली जैसे शाही फूल या पौधे कि हो तो बात भी बनती है , जिससे खुशबूदार तेल , गुलकंद और अर्क नाम कि उपयोगी और बाजारू चीजें बनायीं जा सके | इसके अलावा बेशरम के फूल में न तो महक होती है और ना ही इसका कोई ख़ास इस्तेमाल होता है | मगर एक बात है जो मुझे बार-बार इस पौधे कि तरफ आकर्षित करती है , वो है इसकी जीवटता | जो ना तो बाज़ार में कहीं मिल सकती है और ना ही कहीं और खर

" फासले "

" फासले " "आओ कुछ नज़रों से हमारी शिकायत कर लो नजर क्या चीज़ है कुछ जुबान से भी मोहब्बत कम कर लो हर सितम मंजूर है आपका बस जरा दिल से हमारे फासले कम कर लो माना की कुछ रूठे से लगते हो कब्रगाह पे बिखरी चांदनी से दिखते हो इक हंसी से दुनिया हमारी आबाद कर दो हर शिकायत हो जाएगी दूर हमसे बस बाहों में आकर धडकनों में हमारी नाम अपना सुन लो "