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एक कोना शिकस्त का

इक कोना शिकस्त का यु तो उमर गुजार दी बख्तर बंद पहने हुए बहुत सेक ली पीठ घोड़ो क़ी भी शमशीर और भाले भी जुड़ गए है हथेलियों से और बहुत किस्से भी है फ़तेह के कई है जिनकी चाहत है हमसा बनने क़ी भी मगर सिर्फ हमें मालूम है जिंदगी क़ी चार दीवारी में इक कोना है शिकस्त का चाहो तो जीत लो ये दुनिया मगर ये कोना रहेगा शिकस्त का झुकाए है सर सजदो में इस कोने क़ी खातिर बहाया है खू भी मगर प्यासा है फिर भी ये टुकड़ा दिल की जमीन का और जीत कर भी सारी दुनिया रह गया घर में अपने ही एक कोना शिकस्त का

आनंद सागर

चित्र
“जीवन एक आनंद सागर है समय का उन्माद नहीं जीवन सम्भावनाओ की क्रीडा और विजय श्री का उल्लास पर्व है पराजित हो कर दुःख मनाने का नाम नहीं जीवन स्वयं एक व्यवस्था है स्वार्थपरक कृत्रिम व्यवस्थाओ का जाल नहीं क्रोध लोभ उन्माद और मोह जीवन के नश्वर नगण्य अंग है जीवन क़ी मूलभूत इकाई नहीं समानताओ में विशिष्ठ बनना व्यक्तित्व हो ऐसा मानो भरी भीड़ में दिव्य ललाट हो चमकता सदैव उत्साह, उल्लास और ऊर्जा से भरे मानो खिलखिलाता निर्झर हो बहता क्षोभ और भय से ग्रसित ह्रदय का काम नहीं जीवन एक आनंद सागर है समय का उन्माद नहीं आनंद से भरे आनंद बिखेरते जिसकी सहजता क़ी प्रशंसा संसार हो करता जैसे उज्जवल रश्मियों के मध्य नीले व्योम में दिनकर हो चमकता आत्म प्रशंसा और दंभ में लिपटे जुगनू का नाम नहीं जीवन आनंद सागर है समय का उन्माद नहीं लगा सके विराम जो उद्यमी क़ी पतवार को सिन्धु क़ी लहरों में वो बल नहीं माना है सदैव संसार ने गिर कर उठने वाले के लिए असंभव कुछ नहीं सदैव चुनौतियों को स्वीकारने का नाम है उस संघर्ष का नाम है जो धूप काले मेघो से करती धरा से मिलने

वजह बेवजह मुस्कुराने की

"आते है कुछ यार अपने आशियाने मै बैठ कर मगर सिखलाते है बाते ज़माने के दस्तूर क़ी यु तो कमी नहीं गाफिलो क़ी ज़माने में खता बस इतनी क़ी अपनी दिल तोड़ने क़ी आदत नहीं कुछ भी कर लो शिकायत रह ही जाती है ज़माने को बस काट लो कुछ पल महफ़िल में ख़ामोशी से ये भी तो वजह है , बेवजह मुस्कुराने क़ी "