आनंद सागर




“जीवन एक आनंद सागर है

समय का उन्माद नहीं

जीवन सम्भावनाओ की क्रीडा

और विजय श्री का उल्लास पर्व है

पराजित हो कर दुःख मनाने का नाम नहीं

जीवन स्वयं एक व्यवस्था है

स्वार्थपरक कृत्रिम व्यवस्थाओ का जाल नहीं

क्रोध लोभ उन्माद और मोह जीवन के नश्वर नगण्य अंग है

जीवन क़ी मूलभूत इकाई नहीं

समानताओ में विशिष्ठ बनना

व्यक्तित्व हो ऐसा मानो भरी भीड़ में दिव्य ललाट हो चमकता

सदैव उत्साह, उल्लास और ऊर्जा से भरे

मानो खिलखिलाता निर्झर हो बहता

क्षोभ और भय से ग्रसित ह्रदय का काम नहीं

जीवन एक आनंद सागर है

समय का उन्माद नहीं

आनंद से भरे आनंद बिखेरते

जिसकी सहजता क़ी प्रशंसा संसार हो करता

जैसे उज्जवल रश्मियों के मध्य

नीले व्योम में दिनकर हो चमकता

आत्म प्रशंसा और दंभ में लिपटे जुगनू का नाम नहीं

जीवन आनंद सागर है

समय का उन्माद नहीं

लगा सके विराम जो उद्यमी क़ी पतवार को

सिन्धु क़ी लहरों में वो बल नहीं

माना है सदैव संसार ने

गिर कर उठने वाले के लिए असंभव कुछ नहीं

सदैव चुनौतियों को स्वीकारने का नाम है

उस संघर्ष का नाम है जो

धूप काले मेघो से करती धरा से मिलने को

थक कर हार जाने का नाम नहीं

जीवन एक आनंद सागर है

समय का उन्माद नहीं

जीवन चिडियों का मधुर कलरव है

स्वार्थ के कोलाहल का नाम नहीं

उच्च मनोबल के बल पर दुष्टों को झुका देने का नाम है

और सद्विचारो के पद चिन्ह समय क़ी रेत पर छोड़ जाने का नाम है

छल से धन,पद,वैभव के ढेर पर बैठ इतराने का नाम नहीं

जीवन एक आनंद सागर है

समय का उन्माद नहीं

मृत होकर भी स्मृतियों में अमरत्व को पाने का

सूक्ष्मता से पूर्णता को पाने का

और स्वप्नों के वास्तविकता बन जाने का

अमावस क़ी कृष्ण शून्यता से

पूनम की उज्ज्वलता क़ी यात्रा का

और देख सुप्रभात, पंकजो के पल्लवित हो जाने का नाम है

अज्ञान में अलसाए अजगर का नाम नहीं

जीवन एक आनंद सागर है

समय का उन्माद नहीं”
(अनिल मिस्त्री)

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