वजह बेवजह मुस्कुराने की

"आते है कुछ यार अपने आशियाने मै बैठ कर

मगर सिखलाते है बाते ज़माने के दस्तूर क़ी

यु तो कमी नहीं गाफिलो क़ी ज़माने में

खता बस इतनी क़ी अपनी दिल तोड़ने क़ी आदत नहीं

कुछ भी कर लो शिकायत रह ही जाती है ज़माने को

बस काट लो कुछ पल महफ़िल में ख़ामोशी से

ये भी तो वजह है , बेवजह मुस्कुराने क़ी "

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"बेशरम का फूल "

मुद्दत