"जाने दिल क्यू भारी है आज"

"जाने दिल क्यू भारी है आज

इक अजीब् सी उदास रात

महकी चान्द्नी कुछः दूर कुछः पास

कुछः तूटते ख्वाब् कुछः बेजान अरमान

कुछः अपनो के अश्को कि बरसात

और कुछः अजीब् सी पशोपेश मे फ़न्सा इक इन्सान

इक मोह्ब्बत से बसायी बस्ती मे सुलगति

इक ज़िन्दा आग

जाने दिल क्यू भारी है आज

इक अजीब् सी उदास रात

कुछः वक़्त भी आगे सा निकल चुका

कुछः ज़माना नया सा हो चुका

अब सजा क्या दे हम खुद को

इक दिल भी अपना रहने वाले भी खास

जाने दिल क्यू भारी है आज "

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