तमन्ना

"तमन्ना "

"कुछः हूर कि ख्वाइश् थी

कभी चान्द् का इराद था

इक महका सा गुलाब् था कभी

ख्वाबो मे

हर दुआ मे जिसको मान्गा था

इक सादगी मे लिप्टी वो

वो तमन्ना मेरी मिली कुछः इस कदर

के पता ही नही चला

यहि थी वो
जिसको हमे पाना था "

(अनिल मिस्त्री)

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