"दास्तान"
"दस्तान "
हम ही कहते रहे कि
जमाने से के ख्वाब् बुना करो
मुमकिन तो नही कि हर खवाब् पूरे हो
मगर ख्वाहीश् तो पता हो
यू तो बहुत देखा ख्वाब् बुनने वालो को रोते
इक मुक्कंमल् ख्वाब् कि खुशी , मगर
हर अधूरी तमन्ना से जुदा हो
और कब् तक रहोगे तकदीरो के भरोसे
कोइ तो हो मन्जिल जिसके पीछे
गमो कि लम्बी दस्तान हो
हम ही कहते रहे कि
जमाने से के ख्वाब् बुना करो
मुमकिन तो नही कि हर खवाब् पूरे हो
मगर ख्वाहीश् तो पता हो
यू तो बहुत देखा ख्वाब् बुनने वालो को रोते
इक मुक्कंमल् ख्वाब् कि खुशी , मगर
हर अधूरी तमन्ना से जुदा हो
और कब् तक रहोगे तकदीरो के भरोसे
कोइ तो हो मन्जिल जिसके पीछे
गमो कि लम्बी दस्तान हो
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें