"हसरत "

"हसरत "

"जाने कब् अन्धेरो का सफ़र् खतम हुआ

नूर कि इक किरन जग्मगायी है

यू तो दोस्ती हमारी गमो से ही रही

अब तक

इक मुस्कान अब लबो पे छाई है

क्या कहु तुम्हे , मेरी खुश्नसीबी या दुआ कोई

या कोई हसरत दिल कि अधूरी

जो आज मुकंमल् हो पायी है "

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"बेशरम का फूल "

मुद्दत