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"बिन पिए"

"उनकी मोहब्बत हमको रास ना आई कभी वो सुर्खी उनके लबों की , लबों पे हमारे ना छाई कभी  आज भी हम अंधेरों में , नशा किया करते हैं   नींद बगैर तेरे , बिन पिए ना आई कभी इक बार छलक जा इस कदर ऐ शराब इस अँधेरी रात में ,  निकल जाए कहीं से अफताब के वो  खनकती हँसी उनके रुखसारों पे फ़िर ना आई कभी "
"मैखामोश नही के इकराज़ दफ़न है दिल मेरा भी धड़कता है बस अरमानो की लाश पे कफ़न है सुनने वाले सुन ले कभी तू भी आरजू हमारी हर पन्ने पे अपनी तकदीर के बस इबारत-ऐ-सितम है लगता है कीअब तो नज़ारे बहारों के आयेंगे ज़रूर सब्जबाग लाह्लाहयेंगे जरूर महंगी हो रही अब तो हर रात अपनी क्या कहें सफर की अपने शुरू से आखिर तक बस उजाड़ चमन हैं मै खामोश नही .......... दिल मेरा भी ............ छीन ले तू भी हर लखतेजिगर हमसे ऐ खुदा तेरी झोली में भी हमेशा अपनी खातिर इक दुआ कम है मै इतना बड़ा तो नही की तुझसे लड़ जाऊं भूलकर तुझे , अपने इबादतगाह बनाऊं शायद ना मालूम तुझको भी उठा कर हाथ तेरे सजदे में बंद कर के निगाहें अपनी ये जिन्दगी चाहती, बस तेरी इक नगहें-करम है "

"शिकायत"

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"ना जफा करते हैं वो , ना वफ़ा करते हैं वो दे के सुकून मेरे दिल को रोज दगा करते है वो कहते ना कभी कुछ भी उनसे , सुनते ही हैं बस जिनसे दिखलाते हैं , हर वक्त फसाना-ऐ- मोहब्बत हर रोज और मुझ ही से शिकायत करते हैं वो "

"ग़लत कदम "

"कुछ मज़ा ही रहा, कुछ खता ही रही जाने वो क्या ग़लत कदम था , की जिन्दगी अपनी सारी, बस इक सज़ा ही रही "

"रंज"

"रंज क्या करें अब तो गम का अँधेरी राहों का , ज़माने के सितम का भूल चले अब तो सब चाहने वाले बस अब तो याद ही किया करते हैं, वो दिन चिरागों वाले "

"हाल"

"हाल पूछ के , और ना तबियत नासाज़ किया करो हमारी दर्द तुम्हे भी होगा हमारी साफबयानी से तुम्हे लगता होगा की बड़े नादान हैं हम ये जख्म भी मिला है हमें , तुम्हारी ही मेहरबानी से "

"फरियाद "

"किसने इस जहाँ में हमको , कब सुकून दिया है हर कदम पे दिल को अपने , ख़ुद ही दगा दिया है आजमाने वालों, अजमा लो तुम भी शराफत हमारी जाने कब से, हमने खुदा से भी फरियाद करना छोड़ रखा है "

"इकराज़ "

"ना कोशिश करो मुझको जानने की , ना दुआ करो मेरे मरने की मै नूर हूँ अफताब का , निगाहों में चमक बन के छा जाऊंगा कभी मै इक कतरा सुर्ख खूनी , इक नाजनीन के रुखसारों में नजर आऊंगा ना मिला करो रोज़ ही मुझसे , ना कोशिश करो , मुझको समझ पाने की मिल के भी ना मिलता मै कभी किसी से, उलझा हुआ इंसान , ना सुलझ पाउँगा मै इक परिंदा मस्त हवा का , तेरी जुल्फों को उड़ा जाऊंगा तू लाख कर ले कोशिश , मुझको ,मिटाने की, भूल जाने की बस इक राज़ हूँ मै , उमर भर को तेरे ख्यालों में रह जाऊंगा "

"तमन्ना"

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"इक बार तेरी गली से गुज़र जाए ये जिन्दगी ऐ खुशी , खुदा से यही दुआ करते हें ना रूठकर कभी तू आई , वापस फ़िर , जाने क्यों मगर , बेकार ही तेरी तमन्ना करते हैं औरों में ख़ास क्या है , ना जान पाए हम कभी उनकी तरह मगर तुझको , बाँधने की जिरह करते हैं बहुत शोर है , चारों तरफ़ गम का हर वक्त पास हमारे वो रुनझुन तेरी हँसी की बस अब तो याद किया करते हैं इक सब्ज बाग़ बनाया था , बड़े दिल से वफ़ा का , तेरी खातिर जाने क्यों मगर , हुस्न वाले, कागजों के रेगिस्तान पसंद करते हैं इक बार तेरी गली से गुजर जाए ये जिन्दगी ऐ खुशी , खुदा से यही दुआ करते हैं "

"शुभदिन" (short story)

पिछले कुछ दिनों से मै अपनी समस्याओं से बहुत ही परेशान था, तन्हाई , पैसों की तंगी , बहुत सारीजिम्मेदारियां और बहुत सारी ऐसी ही कई बातें जो अब बहुत मामूली लगती है, और साँस की तरह जिन्दगी से जुड़ी हुई हैं। ऊपर से दिवाली का त्यौहार भी आ रहा था, जब भी अपने आपकी तुलना दुनिया से करता तो सोचता की मै कहा हूँ ? किस जगह पे हूँ । क्या कोई नई जिम्मेदारी लेनी चाहिए ? ऐसा कब तक चलेगा वगैरह वगैरह। जिन्दगी और एक आम आदमी की जिन्दगी में बहुत फर्क होता है। जिन्दगी मतलब खुशी , कामयाबी , रुतबा ऐसा आमतौर पे सोचा जाता है। मगर आम आदमी की जिन्दगी मतलब मुसीबतों का ढेर , पैसों की कमी , बहुत सारा काम , बहुत सारे अधूरे सपने, समाज और वक्त के साथ बढ़ने वाली कई जिम्मेदारियां। ऐसे में जिन्दगी के मायने बदल जाते हैं। सारे रंग , आब , खुशियाँ कही खो जाती है। बीते कल का सफर गुज़र जाता है , आने वाला कल दिखाई नही देता और आज बहुत उदास होता है। मै भी कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा था। ऑफिस और अपने अकेलेपन के बीच मै ख़ुद को भूल गया था। भूल गया था की मै क्या हूँ ? मगर अचानक उस दिन मेरे एक साथी का फ़ोन आया , जिनसे अक्सर व्यावसायिक मुद्दो