"इकराज़ "

"ना कोशिश करो मुझको जानने की , ना दुआ करो मेरे मरने की
मै नूर हूँ अफताब का , निगाहों में चमक बन के छा जाऊंगा
कभी मै इक कतरा सुर्ख खूनी , इक नाजनीन के रुखसारों में नजर आऊंगा
ना मिला करो रोज़ ही मुझसे , ना कोशिश करो , मुझको समझ पाने की
मिल के भी ना मिलता मै कभी किसी से, उलझा हुआ इंसान , ना सुलझ पाउँगा
मै इक परिंदा मस्त हवा का , तेरी जुल्फों को उड़ा जाऊंगा
तू लाख कर ले कोशिश , मुझको ,मिटाने की, भूल जाने की
बस इक राज़ हूँ मै , उमर भर को तेरे ख्यालों में रह जाऊंगा "

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