"तमन्ना"


"इक बार तेरी गली से गुज़र जाए ये जिन्दगी

ऐ खुशी , खुदा से यही दुआ करते हें

ना रूठकर कभी तू आई , वापस फ़िर ,

जाने क्यों मगर , बेकार ही तेरी तमन्ना करते हैं

औरों में ख़ास क्या है , ना जान पाए हम कभी

उनकी तरह मगर तुझको , बाँधने की जिरह करते हैं

बहुत शोर है , चारों तरफ़ गम का हर वक्त पास हमारे

वो रुनझुन तेरी हँसी की बस अब तो याद किया करते हैं

इक सब्ज बाग़ बनाया था , बड़े दिल से वफ़ा का , तेरी खातिर

जाने क्यों मगर , हुस्न वाले, कागजों के रेगिस्तान पसंद करते हैं

इक बार तेरी गली से गुजर जाए ये जिन्दगी

ऐ खुशी , खुदा से यही दुआ करते हैं "

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