"दौर-ऐ-तन्हाई"

"ये इल्म ना हुआ

दौर-ऐ-तन्हाई , से गुजर कर भी

की जिंदगानी में कोई

हमसफ़र ना होगा कभी

हसरतें लिए , बेदर्द ज़माने में

firaa करते हैं

की हमनवां , कोई तो होगा

कभी ना कभी "

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