"इंतज़ार २ "

२। "अनजानी सी उम्मीद " 

"शोले हमारी राहों पे यूँ ही बरसते रहे 
खुले पाँव हम भी हंस के चलते रहे 
हर मुश्किल आसान सी लगने लगी थी 
तेरी मुस्कुराहट, मेरे जखम सीने लगी थी
अनजानी सी उम्मीद पे हम भी बढ़ते रहे बना कर जाम तेरे , हर दर्द को पीते रहे 
दो पल की जुदाई ने , मगर , उन्हें क्या बना डाला 
हमराज़ थे जो कल , वो बेवफाई कर गए कल तक देने वाले मरहम , अब जखम चढाते रहे 
महकाने वाले मेरे चमन को , वीरान बनाते रहे 
शोले मगर हमारी राहों पे यूँ ही बरसते रहे खुले पाँव हम भी हंस के चलते रहे "

३। "जन्नत "

"मुझको ख़बर नही की जन्नत क्या चीज़ है  

तेरे निगाहों में मुकम्मल जहाँ नज़र आता है
 मुझे अमीरों की जिन्दगी में यकीन नही

बस उमर भर तुझे दिल से लगाने को दिल चाहता है 

मेरे खुदा माफ़ करना मुझको मेरे महबूब पे 

मुझको, तुझसे ज्यादा यकीन आता है "

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