"इंतज़ार ३ "
५। "मुकम्मल "
"इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
रूह को हमारी , आस्मां से जन्नत में आने दो
उमर भर को आ जाओ हमारे आगोश में
ग़मों को अपने , हमारे सीने में छुपाने दो
मुस्कुराहटों को हमारी , अपने लबों पे सजाने दो
इस रिश्ते को हमारे , दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
जलती है रूह , टूटता है दिल
सूनी होती है जब , तेरे बगैर महफ़िल
समन्दर की लहरों को आज चाँद से मिल जाने दो
दिल की ज़मीन को अश्कों से , भीग जाने दो
इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
रूह को हमारी आस्मां से , जन्नत में आने दो
मुझको मालूम है, यकीं नही तुझको , मुझ पर
किनारों पर ही तैरते रहे , उमर भर
आज दिल की गहराइयो में हमें समाने दो
वफ़ा की हमारी ताक़त को आजमाने दो
और इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
मुझको याद है , खुशी में तेरे रुखसारों का सुर्ख होना
कर के नम आखें , मेरे ग़मों में तेरा खोना
याद है ये भी की कैसे तुम निगाहें पढ़ जाया करते थे
रह -रह के बेवजह हक़ जताया करते थे
बस इस खुमारी में ही सारी उमर बीत जाने दो
हाथों की तरह आज दिल भी मिल जाने दो
मुझको मालूम है रुसवाई से , दिल तुम्हारा डरता है
सवालों के साए में ही ये ज़मना चलता है
फक्र होगा तुम्हे उमर भर , बस इक कदम बढ़ाने दो
दिल की अपनी हालत को ज़माने के सामने आने दो
दुआये तुम्हारी अब भी असर करती हैं
जिंदगी शिकस्त से फतह को बढती है
हर नामुमकिन को मुमकिन बन जाने दो
अपने चहरे के चाँद को ,हमारी हथेली में समाने दो
और इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
रूह को हमारी आस्मां से जन्नत में आ जाने दो "
कहते हैं की शयेर बड़े बदनाम होते हैं , क्योंकि वो बड़े बेबाक और ख्याली होते हैं । इसके बगैर मगर कोई भी कलाकार नही बन सकता। क्योंकि वो कला के पंख लगा कर उड़ने वाला पंछी होता है , उसे बंधा नही जा सकता , वरना वो उड़ना भूल जाता है।
"इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
रूह को हमारी , आस्मां से जन्नत में आने दो
उमर भर को आ जाओ हमारे आगोश में
ग़मों को अपने , हमारे सीने में छुपाने दो
मुस्कुराहटों को हमारी , अपने लबों पे सजाने दो
इस रिश्ते को हमारे , दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
जलती है रूह , टूटता है दिल
सूनी होती है जब , तेरे बगैर महफ़िल
समन्दर की लहरों को आज चाँद से मिल जाने दो
दिल की ज़मीन को अश्कों से , भीग जाने दो
इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
रूह को हमारी आस्मां से , जन्नत में आने दो
मुझको मालूम है, यकीं नही तुझको , मुझ पर
किनारों पर ही तैरते रहे , उमर भर
आज दिल की गहराइयो में हमें समाने दो
वफ़ा की हमारी ताक़त को आजमाने दो
और इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
मुझको याद है , खुशी में तेरे रुखसारों का सुर्ख होना
कर के नम आखें , मेरे ग़मों में तेरा खोना
याद है ये भी की कैसे तुम निगाहें पढ़ जाया करते थे
रह -रह के बेवजह हक़ जताया करते थे
बस इस खुमारी में ही सारी उमर बीत जाने दो
हाथों की तरह आज दिल भी मिल जाने दो
मुझको मालूम है रुसवाई से , दिल तुम्हारा डरता है
सवालों के साए में ही ये ज़मना चलता है
फक्र होगा तुम्हे उमर भर , बस इक कदम बढ़ाने दो
दिल की अपनी हालत को ज़माने के सामने आने दो
दुआये तुम्हारी अब भी असर करती हैं
जिंदगी शिकस्त से फतह को बढती है
हर नामुमकिन को मुमकिन बन जाने दो
अपने चहरे के चाँद को ,हमारी हथेली में समाने दो
और इस रिश्ते को हमारे दोस्ती से आगे बढ़ाने दो
रूह को हमारी आस्मां से जन्नत में आ जाने दो "
कहते हैं की शयेर बड़े बदनाम होते हैं , क्योंकि वो बड़े बेबाक और ख्याली होते हैं । इसके बगैर मगर कोई भी कलाकार नही बन सकता। क्योंकि वो कला के पंख लगा कर उड़ने वाला पंछी होता है , उसे बंधा नही जा सकता , वरना वो उड़ना भूल जाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें