"जुल्फें"


१।" जुल्फें तुम्हारी जो खुल कर बिखर गई हैं
दिल मेरा मानो खो गया कहीं है
हकीकत हो तुम, मुझे यकीन नही है
डरता हूँ कहीं ये ख्वाब तो नही है "
२।
"इक अरसे से प्यासी रही दिल की वादी मेरी
इक बार जुल्फें तो बिखरा दो
वो रिमझिम तेरी हँसी की
वो ठंडी बयार, तेरी निगाहों की
गर्म हो रही , धूपसी साँसे , रूह से हमारी मिला दो
बड़ा सर्द है मौसम आज, तमन्नाओं का
इक सुलगता हुआ शीरीं सा शोला
सुर्ख रुखसार का , लबों को हमारे दिला दो
यूँ तो सिले ही रहे लब अक्सर ज़माने के आगे
दिल में उफनता , मोहब्बत का गुबार हटा दो
ना रहे आज तकल्लुफ कोई ,
शुक्रिया और शर्मिन्दगी के अल्फाज़ मिटा दो
बहुत प्यासा हैं, दिल हमारा जाने कब से
रंगों आब का वो मोहब्बत भरा जाम पिला दो
इक अरसे से प्यासी रही दिल की वादी मेरी
इक बार जुल्फें तो बिखरा दो "

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