" यादें "


"यादें तो बहुत आती हैं , तुम्हारी , तनहा शामों में

भर जाती हैं , अश्कों के जाम नज़र के पैमानों में

यूँ तो हर घड़ी चेहरे पे चढा है नकाब, मुस्कराहट का

सितम ढाती यादों के दर्द, देखे तो ज़रा कोई, मेरे कागजी जज्बातों में

अपनाना बहुत मुश्किल है ये सच की , वक्त ना कभी थमा होता है

जो हैं दिल के करीब आज, कल उन्ही से जुदा होना होता है

फ़िर आएगा कभी उन यादों का लंबा काफिला

लाख तडपे दिल, मगर ना रुकेगा वक्त का ये सिलसिला

तब निकलती है दिल से इक आवाज़ , की तुम आ जाओ मेरी जिन्दगी के वीरानो में

क्योंकि यादें तो बहुत आती हैं तुम्हारी तनहा शामों में

और भर जाती हैं , अश्कों के जाम नज़र के पैमानों में "

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