"चाँद”






१. "समझ कर चाँद सोचा था ,

 

तुम्हे भूल जायेंगे हर अँधेरी रात में मगर ,

 

तुम ही तुम तो याद आए हो "

 

२." सदियाँ लगी होंगी

 

जाने कितनी तुझको बनने में

 

और चाँद हो तुम आस्मां के

 

अनगिनत सितारों में"

(अनिल मिस्त्री) 

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