"हुस्न वाले यूँ ही ना मुस्कुराया करो "




"हुस्न वाले यूँ ही ना , मुस्कुराया करो

हंस कर बातों बातों में, यूँ ही रूठ जाया करो
इक राज़ थे हम जिसे जानते हैं वो
आहट भी हमारी, ना आजकल, पहचानते हैं वो
ख़्वाबों के हसीं ,वो बस्ती मेरी ,एक पल में ना उजाडा करो
और बहुत पाक है मोहबत मेरी , इसपे ना शक किया करो
हुस्न वाले यूँ ही ना मुस्कुराया करो
हंस कर बातों बातों में ,यूँ ही ना रूठ जाया करो "

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