"दिल्ली के बस स्टॉप्स"

"दिल्ली के बस स्टॉप्स की बात ही अलग है , मेरा ऑफिस का समय kuchh ऐसा hai की mai रोज़ सुबह इन बस स्टॉप्स ko बड़े ध्यान से देखा करता हूँ , और महसूस किया करता हूँ, इनकी जीवंत कार्य शैली को , समय के साथ जीवन और सपनो के संघर्ष को , इंसान की उस शक्ति को जो उसे सारी सृष्टि से अलग बनता है। उम्मीद और भागमभाग का अजीब ताना बाना। वैसे तो हर मेट्रो सिटी की सुबह का नज़ारा लगभग एक जैसा ही होता है, मगर फ़िर भी दिल्ली कुछ अलग है। इसे अलग बनाने वाली कई सारी बातें हैं। जैसे की शुद्ध हिन्दी बोलने वाले लोग , खूबसूरत लड़कियां या शायद औरतें (ये पहचान करना बहुत मुश्किल है इस शहर में ), खिलती रंगत के लोग, व्यावसायिक बातों में भी घुली मिली मासूमियत, आलू के पराठों और लस्सी की खुशबू, ऍफ़ एम् की चटर पटरऔर बहुत कुछ ऐसा जो यहाँ की सुबह को और जगहों से अलग बनता है। एक ऐसी सुबह जो हिंदुस्तान की लगती है, किसी विशेष राज्य या भाषा की नही।
माना की बहुत कुछ ग़लत है, बहुत कुछ ख़राब है , मगर हेलमट लगाना ज़रूरी है, कागजात पूरे होने ज़रूरी हैं, १०० की पत्तीका इलाज तो हर जगह चलता है, मगर कम से कम यहाँ किसी को ये कह के नही भगाया जाता की उसकी जुबान इस शहर से मेल नही खाती। शायद इसलिए इसे हिन्दुस्तान का दिल कहते हैं।"
दिल्ली के बस स्टॉप्स और दिल्ली की सुबह हिंदुस्तान की सुबहदिल की सुबह .

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"बेशरम का फूल "

मुद्दत